Saturday, May 13, 2023

भक्त प्रह्लाद की कहानी devotee prahlad tales

भक्त प्रह्लाद की कहानी हमें यह बताती है कि भगवान की भक्ति और उनके वचनों का पालन करना हमें सभी दुःखों से मुक्त कराता है। यह कथा हिंदू धर्म के इतिहास में एक महत्वपूर्ण कथा है जो हमें अनुशासन, धैर्य और अपने आस्तिक विचारों के लिए जाना जाता है।

प्रह्लाद एक राजा के बेटे थे। 
वह अपने पिता के विरुद्ध होने के बावजूद, भगवान विष्णु की भक्ति करते रहते थे। 
उनके पिता हिरण्यकशिपु एक अहंकारी राजा थे जो अपने आपको भगवान से भी ऊँचा समझते थे। 
वह अपने पुत्र की भक्ति से बहुत नाराज थे और इसके लिए उन्होंने प्रह्लाद को सख्त दंड देने का फैसला किया।

हिरण्यकशिपु ने प्रह्लाद को बहुत से तरह के दंड दिए लेकिन प्रह्लाद ने अपनी भक्ति से हमेशा भगवान के नाम का जाप करते रहे। वे बिना किसी डर या नतमस्तकता के अपने आस्तिक विचारों के लिए जाने जाते थे।

हिरण्यकशिपु ने अपने पुत्र के विचारों से तंग आकर, उन्हें अनेक अधमरे प्रयोगों से गुजरने के लिए प्रताड़ित किया। उसे नाग के बिछौने पर बैठाया गया था जो समुद्र में डूबता था। 

फिर उसे भुआ होलिका के साथ अग्नि में डाला गया और फिर भी वह उससे बच गया। 

अंत में, हिरण्यकशिपु ने उसको पट्टी में बाँध कर पहाड़ से फेंकने का आदेश दिया। लेकिन भगवान ने प्रह्लाद को बचाया और उसको उसके पिता से मुक्त कराया। 

भगवान ने नरसिंह रूप धारण किया, जो आदमी और सिंह दोनों का रूप था। नरसिंह ने हिरण्यकशिपु को मार डाला और उसको उसकी अधमरी सोच से मुक्त कराया।

प्रह्लाद की कहानी हमें यह बताती है कि भक्ति और उनके आस्तिक विचार हमें हर मुश्किल से मुक्त कर सकते हैं। यह हमें धैर्य, उत्साह और उन्नति के लिए प्रेरित करती है।

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