Saturday, May 13, 2023

कृष्ण पक्ष waning moon phaseऔर शुक्ल पक्ष waxing moon phase

कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष:-

हिंदू चंद्र कैलेंडर में दो प्रकार के पक्ष होते हैं।

1.) कृष्ण पक्ष, जिसे अंधेरे पक्ष भी कहते हैं, पूर्णिमा के बाद आने वाले दिन से शुरू होता है और लगभग 15 दिन तक चलता है। इस पक्ष में चंद्रमा का आकार धीरे-धीरे कम होता है। यह पक्ष अमावस्या तक चलता है जो कि नए चंद्रमा का दिन होता है।

2.) शुक्ल पक्ष, जिसे उज्ज्वल पक्ष भी कहते हैं, अमावस्या के दिन के बाद आने वाले दिन से शुरू होता है और लगभग 15 दिन तक चलता है। इस पक्ष में चंद्रमा का आकार बढ़ता है। यह पक्ष पूर्णिमा तक चलता है जो कि पूर्ण चंद्रमा का दिन होता है।

हिंदू धर्म में ये दो पक्ष बहुत महत्वपूर्ण होते हैं और इनका उपयोग विभिन्न त्योहारों और धार्मिक आयोजनों के समय की गणना के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए, दीवाली, दुर्गा पूजा, होली आदि के त्योहार पूर्णिमा या अमावस्या की रात के दिन मनाए जाते हैं। इन त्यो

भक्त प्रह्लाद की कहानी devotee prahlad tales

भक्त प्रह्लाद की कहानी हमें यह बताती है कि भगवान की भक्ति और उनके वचनों का पालन करना हमें सभी दुःखों से मुक्त कराता है। यह कथा हिंदू धर्म के इतिहास में एक महत्वपूर्ण कथा है जो हमें अनुशासन, धैर्य और अपने आस्तिक विचारों के लिए जाना जाता है।

प्रह्लाद एक राजा के बेटे थे। 
वह अपने पिता के विरुद्ध होने के बावजूद, भगवान विष्णु की भक्ति करते रहते थे। 
उनके पिता हिरण्यकशिपु एक अहंकारी राजा थे जो अपने आपको भगवान से भी ऊँचा समझते थे। 
वह अपने पुत्र की भक्ति से बहुत नाराज थे और इसके लिए उन्होंने प्रह्लाद को सख्त दंड देने का फैसला किया।

हिरण्यकशिपु ने प्रह्लाद को बहुत से तरह के दंड दिए लेकिन प्रह्लाद ने अपनी भक्ति से हमेशा भगवान के नाम का जाप करते रहे। वे बिना किसी डर या नतमस्तकता के अपने आस्तिक विचारों के लिए जाने जाते थे।

हिरण्यकशिपु ने अपने पुत्र के विचारों से तंग आकर, उन्हें अनेक अधमरे प्रयोगों से गुजरने के लिए प्रताड़ित किया। उसे नाग के बिछौने पर बैठाया गया था जो समुद्र में डूबता था। 

फिर उसे भुआ होलिका के साथ अग्नि में डाला गया और फिर भी वह उससे बच गया। 

अंत में, हिरण्यकशिपु ने उसको पट्टी में बाँध कर पहाड़ से फेंकने का आदेश दिया। लेकिन भगवान ने प्रह्लाद को बचाया और उसको उसके पिता से मुक्त कराया। 

भगवान ने नरसिंह रूप धारण किया, जो आदमी और सिंह दोनों का रूप था। नरसिंह ने हिरण्यकशिपु को मार डाला और उसको उसकी अधमरी सोच से मुक्त कराया।

प्रह्लाद की कहानी हमें यह बताती है कि भक्ति और उनके आस्तिक विचार हमें हर मुश्किल से मुक्त कर सकते हैं। यह हमें धैर्य, उत्साह और उन्नति के लिए प्रेरित करती है।

ध्रुव की कहानी dhruv tales in hinduism

ध्रुव की कहानी हिंदू धर्म की एक प्रसिद्ध कहानी है। 

ध्रुव एक युवा राजकुमार था, जो प्राचीन भारत में रहता था। वह राजा उत्तानपाद के बड़े पुत्र थे और उनकी पहली पत्नी सुनीति के बेटे थे।

हालांकि, उनके पिता की दूसरी पत्नी सुरुचि ने ध्रुव के साथ अच्छी तरह से बरताव नहीं किया था। 
वह सुनीति और उसके बेटे से ईर्ष्या करती थी। 

एक दिन, ध्रुव अपने पिता के गोद में बैठने की कोशिश की, लेकिन सुरुचि ने उसे दूर धकेल दिया। वह बोली कि केवल उसका बेटा राजा बनेगा और ध्रुव को महल से निकाल दिया जाएगा।

ध्रुव दुखी हो गया और अपनी माँ सुनीति से मिला। सुनीति ने उन्हें भगवान विष्णु की शक्ति के बारे में बताया और उन्हें भगवान की कृपा के लिए प्रार्थना करने की सलाह दी। ध्रुव ने फिर निर्णय लिया कि उन्हें महल छोड़ना होगा और वन में जाना होगा ताकि वह भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त कर सके।

उनकी माता ने उन्हें आशीर्वाद देकर रास्ता दिखाया और ध्रुव वन में चला गया। वहाँ पहुंचकर उन्होंने भगवान विष्णु का ध्यान करना शुरू किया। ध्रुव बहुत ही कड़ी मेहनत से भगवान की पूजा करने लगा। उन्होंने एक चक्रवर्ती बनने की इच्छा व्यक्त की।

भगवान विष्णु उनकी प्रार्थना को समझ गए और उनके समक्ष प्रकट हुए। उन्होंने ध्रुव को आशीर्वाद दिया कि वह चक्रवर्ती बनेगा और उसका नाम आकाश में स्थाई तारे के रूप में अमर होगा।

ध्रुव बहुत खुश था और अपने पिता के पास वापस जाना चाहता था। उन्होंने उनकी पत्नी सुरुचि और बेटे को देखा, जो उसे बुरी नजर से देख रहे थे। उन्होंने ध्रुव के आशीर्वाद के बारे में जाना और उनसे माफी मांगी।

इस तरह ध्रुव ने भगवान विष्णु की कृपा से अपने सपनों को पूरा किया और अपने परिवार को सम्मान प्राप्त किया। 

ध्रुव की कहानी हमें यह सिखाती है कि धैर्य, समर्पण और प्रभु की पूजा जीवन में सफलता के लिए आवश्यक होते हैं। जब हम अपने सपनों के लिए दृढ़ संकल्प बनाते हैं तो हमें उन्हें पूरा करने के लिए धैर्य रखना होता है। समर्पण उन्हें सफलता तक ले जाने में मदद करता है और प्रभु की पूजा हमें शक्ति और सहायता प्रदान करती है।

ध्रुव की कहानी हमें यह भी बताती है कि हमें निर्धारित लक्ष्य के प्रति संकल्पित रहना चाहिए और अपने सपनों को पूरा करने के लिए कोई भी परिस्थिति हमें हिम्मत नहीं हारने देनी चाहिए।

ध्रुव की कहानी हिंदू धर्म में एक बहुत ही महत्वपूर्ण कथा है जो हमें सफलता के लिए अपने लक्ष्य के प्रति दृढ़ संकल्प और धैर्य का महत्व बताती है।

Shlok for Goddess Saraswati सरस्वती माता का श्लोक

या कुन्देन्दु तुषार हार धवला, या शुभ्र वस्त्रावृता।
या वीणा वरदण्ड मण्डितकरा, या श्वेत पद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेष जाड्यापहा।।

Translation:-
May the white-garmented, moon-crested, and white-clad Goddess Saraswati,
whose hands are adorned with the boon-granting vina (musical instrument) and rosary,
who is seated on a white lotus and is worshipped by Lord Brahma, Lord Vishnu, Lord Shiva, and other Devas,
protect me and completely remove my lethargy and ignorance.

सरस्वती माता की आरती Aarti of Goddess Saraswati

जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता।
सदगुण वैभव शालिनी, त्रिभुवन विख्याता।।

चन्द्रवदनि पद्मासिन्हा, स्फटिकमणि निभा नाना।
विधि हरि ब्रह्मविद्या दायिनी, ज्ञानप्रदायिनी।।

जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता।
श्वेत पद्मासना ध्यायें, शुभ गुण मंदिर धारा।
ब्रह्मजी शंकरजी वाणी, नित्य ध्यान धरा।।

जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता।
अतुलित बलधामा, चंद्रश्मि ज्योति दिनमा।
विद्यालेश शिवसुत नंदा, भवभयहारिणी।।

जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता।
विश्व विद्यालय मंदिर वाणी, सुर नर मुनि जन सेवता।
श्रद्धा सुमन विद्या दायिनी, ज्ञान दीन विकसिता।।

जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता।
जय जय हे महारानी, मय्या जय सरस्वती माता।
सुन्दर सदा विजयी, विद्यादान दाता।
जय सरस्वती माता, मैया जय सरस्वती माता।।