Sunday, September 19, 2021

आरती गजानंद जी की

आरती गजानंद जी की, की पार्वती नंदन शिवसुत की ।
आरती गजानंद जी की, की पार्वती नंदन शिवसुत की ।
गले में मोतन की माला,साथ है रिद्धि-सिद्धि बाला।
वाहन को मूसक है काला, शीश पर मुकुट चंद्र बाला।
चलो हम दर्शन को जावे, पूजा की वस्तु को भी लावे।
पूजन कर साथ-पूजन कर साथ, नमाऊं माथ-नमाऊं माथ,जोड़कर हाथ-जोड़कर हाथ। 
कहो जय गौरी नंदन की,की पार्वती नंदन शिवसुत की।
आरती गजानंद जी की, की पार्वती नंदन शिवसुत की। 

हाथ मे अंकुश और फरसा,विनय कर सब जग धरी आशा।
करेंगे प्रभु सब दुःख को नाशा, कृपा करी पुरेंगे आशा।
के सुनकर उत्सव गणपति को, सुर नर दौड़े दर्शन को।
जमे सब साथ-जमे सब साथ, पुष्प ले हाथ-पुष्प ले हाथ,दृष्टि करी माथ-दृष्टि करी माथ।
कहो जय जय गणपति जी की, की पार्वती नंदन शिवसुत की।
आरती गजानंद जी की, की पार्वती नंदन शिवसुत की।

केशव सूत शरण है चरणन में, मंडली बाल समाज संग में।
विनय करो दिन-दिन स्वर में, सुखी रखो जनता को जग में।
के भारत माँ के है सब लाल, चिरायु करो इन्हें गणराज।
विनत के साथ-विनत के साथ,नमाऊं माथ-नमाऊं माथ, जोड़कर हाथ-जोड़कर हाथ। 
पूरी करो इच्छा सेवकों की, की पार्वती नंदन शिवसुत की। 
आरती गजानंद जी की, की पार्वती नंदन शिवसुत की। 
बोलो गजानंद गणपति महाराज की जय।


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