Sunday, May 17, 2020

Mantra Jaap (मंत्र जप)

मंत्र जप में आने वाले विघ्न :——

किसी भी जप के समय हमारा मन हमें सबसे ज्यादा परेशान करता है,  और निरंतर तरह तरह के विचार अपने मन में चलते रहेंगे | यही मन का स्वभाव है और वो इसी सब में उलझाये रखेगा | तो सबसे पहले हमें मन से उलझना नहीं है | बस देखते जाना है न विरोध न समर्थन, आप निरंतर जप करते जाइये | आप भटकेंगे बार बार और वापस आयेंगे | इसमें कोई नयी बात नहीं है ये सभी के साथ होता है | ये सामान्य प्रिक्रिया है | इसके लिए हमें माला से बहुत मदद मिलती है | मन हमें कहीं भटकाता है मगर यदि माला चलती रहेगी तो वो हमें वापस वहीँ ले आएगी | ये अभ्याश की चीज है जब आप अभ्याश करेंगे तो ही जान पाएंगे |

मंत्र जप के प्रकार :——

सामान्यतया जप के तीन प्रकार माने जाते हैं जिनका वर्णन हमें हमारी पुस्तकों में मिला है, वो हैं :-

१. वाचिक जप :- वह होता है जिसमें मन्त्र का स्पष्ट उच्चारण किया जाता है।

२. उपांशु जप- वह होता है जिसमें थोड़े बहुत जीभ व होंठ हिलते हैं, उनकी ध्वनि फुसफुसाने जैसी प्रतीत होती है।

३. मानस जप- इस जप में होंठ या जीभ नहीं हिलते, अपितु मन ही मन मन्त्र का जाप होता है।

जब हम मंत्र जप प्रारंभ करते हैं तो  जप की अलग अलग विधियाँ स्वत: ही आती रहती हैं |.                     

हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे। 
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।।

इस मंत्र के बारे में कलिसंतरणोपनिषद् यह बताया गया है कि साढ़े तीन करोड़ मन्त्र का जप करने से परमात्मा की प्राप्ति हो जाती है। वहाँ यह भी स्पष्ट किया है कि इस नाम को सभी अवस्था में जप सकते हैं। वैदिक मंत्र तो पवित्र होकर ही जपना चाहिये, उपरोक्त षोडश नाम का जप भी सभी अवस्था में कर सकते हैं। आजकल इसीलिये षोडश नाम जप के लिये कहा जाता है। दूसरी बात यह भी है कि ब्रह्माजी ने नारदजी को यह उपदेश करके कहा कि इसका प्रचार करके जगत के प्राणियों का कल्याण करो। इस समय कलिकाल है ही। इसलिये नाम की इस समय अधिक महिमा है। 
साढ़े तीन करोड़ मन्त्र जप से भगवान् की प्राप्ति हो जाती है;  नाम जप से सर्व सिद्धियाँ सुलभ हैं। जप करते समय हमें भगवान् से कोई चीज नहीं माँगनी चाहिये। प्रार्थना करे तो केवल भगवान् के दर्शन के लिये ही करे।

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