आज रवि पुष्य है.इस बारे में विस्तृत जानकारी आपके लिए:-पुष्य का अर्थ है पोषण करने वाला, ऊर्जा व शक्ति प्रदान करने वाला. मतान्तर से पुष्य को पुष्प का बिगडा़ रुप मानते हैं। पुष्य का प्राचीन नाम तिष्य शुभ, सुंदर तथा सुख संपदा देने वालाहै । विद्वान इस नक्षत्र को बहुत शुभ और कल्याणकारी मानते हैं। विद्वान इस नक्षत्र का प्रतीक चिह्न गाय का थन मानते हैं। उनके विचार से गाय का दूध पृ्थ्वी लोक का अमृ्त है। पुष्य नक्षत्र गाय के थन से निकले ताजे दूध सरीखा पोषणकारी, लाभप्रद व देह और मन को प्रसन्नता देने वाला होता है। राशि में 3 डिग्री 20 मिनट से 16 डिग्री 40 मिनट तक होती है। यह क्रान्ति वृ्त्त से 0 अंश 4 कला 37 विकला उत्तर तथा विषुवत वृ्त्त से 18 अंश 9 कला 59 विकला उत्तर में है। इस नक्षत्र में तीन तारे तीर के आगे का तिकोन सरीखे जान पड़ते हैं। बाण का शीर्ष बिन्दु या पैनी नोंक का तारा पुष्य क्रान्ति वृ्त्त पर पड़ता है। पुष्य को ऋग्वेद में तिष्य अर्थात शुभ या माँगलिक तारा भी कहते हैं। सूर्य जुलाई के तृ्तीय सप्ताह में पुष्य नक्षत्र में गोचर करता है। उस समय यह नक्षत्र पूर्व में उदय होता है। मार्च महीने में रात्रि 9 बजे से 11 बजे तक पुष्य नक्षत्र अपने शिरोबिन्दु पर होता है। पौष मास की पूर्णिमा को चन्द्रमा पुष्य नक्षत्र में रहता है। इस नक्षत्र का स्वामी ग्रह शनि है। रविवार को खरीदी का शुभ मुहूर्त सुबह 9 बजकर 15 मिनट से दोपहर 12 बजे तक रहेगा। अमृत का चौघड़िया दोपहर 1 बजकर 30 मिनट से अपरान्ह 3 बजे तक रहेगा। शुभ का चौघड़िया शाम को 4 बजकर 30 मिनट से रात 9 बजे तक रहेगा। स्थिर लग्नों के अनुसार वृश्चिक लग्न सुबह 8 बजकर 8 मिनट से 10 बजकर 24 मिनट तक रहेगी। कुंभ लग्न दोपहर 2 बजकर 17 मि. से 3 बजकर 50 मि. तक रहेगी। वृषभ लग्न शाम 7 बजकर 1 मि. से 8 बजकर 59 मिनट तक रहेग !!
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Saturday, October 22, 2016
Ravi Pushya
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