Saturday, August 31, 2019

हरितालिका(तीज व्रत) HartaliTeej

*हरितालिका(तीज व्रत)*

भाद्रपदमास के शुक्लपक्ष तृतीया को हरितालिका (तीज व्रत) सौभाग्यवती स्त्रियों द्वारा मनाया जाता है। तिथियों के स्वामी में *तृतीया तिथि की स्वामी गौरी* तथा *चतुर्थी तिथि के स्वामी गणेश* है।
 इस वर्ष संवत 2076 सन 2019 में हरितालिका (तीज व्रत) को मनाने के सम्बन्ध में विवाद उत्पन्न हो गया है। कुछ पञ्चाङ्ग के अनुसार यह 1 सितम्बर रविवार को तो कुछ पञ्चाङ्ग के अनुसार यह 2 सितम्बर सोमवार को होगा।
*पञ्चाङ्गो में तृतीया तिथि का मान* -------
*हरिहर श्री हृषिकेश पञ्चाङ्ग* में तथा कुछ अन्य प्रमुख पञ्चाङ्गो में
1 सितम्बर रविवार को सूर्योदय 5।44 है द्वितीया युक्त तृतीया का प्रारंभ 14 घटी 3 पल (दिन में 11 घंटा 21 मिनट) है
तथा
2 सितम्बर सोमवार को सूर्योदय 5।45 है तथा तृतीया का मान 8 घटी 10 पल (दिन में 9 घंटा 1 मिनट) तक है पश्चात चतुर्थी तिथि प्राप्त है।
 तथा
देशान्तर भेद तथा गणित भेद से कुछ प्रमुख पञ्चाङ्गो में
1 सितम्बर रविवार को द्वितीया युक्त तृतीया का प्रारंभ दिन में 8 घंटा 27 मिनट है।
तथा
2 सितम्बर सोमवार को तृतीया का मान रात्रि शेष में 4 घंटा 57 मिनट तक है।(अर्थात सूर्योदय से स्पर्श न होने से तृतीया की हानि है।)

*विवाद का विषय क्या है* -
पञ्चाङ्गो के गणित भेद से तिथियों के समय में भी भेद हो जाता है। जिसका प्रभाव हमारे व्रत व त्यौहारों के मनाने के दिन पर पड़ता है। कुछ पञ्चाङ्गो के अनुसार तृतीया की हानि हो जा रही है तथा मकरन्दीय पद्धति पञ्चाङ्गो के अनुसार चतुर्थी तिथि की हानि हो रही है।
अतः इस कारण से हरितालिका (तीज व्रत) को मनाने के सम्बन्ध में विवाद हो गया है।

*धर्मशास्त्र का कथन* ---
_तत्र मुहूर्त मात्रा ततो न्यूनापि परा ग्राह्या।_
अर्थात मुहूर्त मात्र(स्वल्प)भी तृतीया तिथि यदि चतुर्थी तिथि से युक्त हो तो तृतीया युक्त चतुर्थी ही फलप्रद है। 2 सितम्बर सोमवार को तृतीया युक्त चतुर्थी है।

द्वितीया तिथि युक्त तृतीया में तीज व्रत को करने का निषेध है।
1 सितम्बर रविवार को द्वितीया तिथि युक्त तृतीया है जिसमे तीज व्रत करने का निषेध है।

*क्योकि तृतीया तिथि की स्वामी गौरी तथा चतुर्थी तिथि के स्वामी गणेश है।*

विष्णु धर्मोत्तर, आपस्तम्ब,स्कन्द पुराण, कालमाधव ने भी गौरी व्रतों में चतुर्थी तिथि से युक्त मुहूर्त मात्र तृतीया तिथि को ही स्वीकार किया है।
*अतः 2 सितंबर 2019 सोमवार को ही हरितालिका (तीज व्रत) किया जायेगा।* तथा इस दिन मध्याह्न में चतुर्थी प्राप्त हो जाने से *वैनायकी(वरद)श्री गणेश चतुर्थी व्रत* भी आज ही होगा।

Saturday, March 9, 2019

Hanuman Chalisa हनुमान चालीसा

दोहा
श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि ।
बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ॥
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार
बल बुधि विद्या देहु मोहि, हरहु कलेश विकार
चौपाई
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥१॥
राम दूत अतुलित बल धामा
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा॥२॥
महाबीर बिक्रम बजरंगी
कुमति निवार सुमति के संगी॥३॥
कंचन बरन बिराज सुबेसा
कानन कुंडल कुँचित केसा॥४॥
हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजे
काँधे मूँज जनेऊ साजे॥५॥
शंकर सुवन केसरी नंदन
तेज प्रताप महा जगवंदन॥६॥
विद्यावान गुनी अति चातुर
राम काज करिबे को आतुर॥७॥
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया
राम लखन सीता मनबसिया॥८॥
सूक्ष्म रूप धरि सियहि दिखावा
विकट रूप धरि लंक जरावा॥९॥
भीम रूप धरि असुर सँहारे
रामचंद्र के काज सवाँरे॥१०॥
लाय सजीवन लखन जियाए
श्री रघुबीर हरषि उर लाए॥११॥
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई
तुम मम प्रिय भरत-हि सम भाई॥१२॥
सहस बदन तुम्हरो जस गावै
अस कहि श्रीपति कंठ लगावै॥१३॥
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा
नारद सारद सहित अहीसा॥१४॥
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते
कवि कोविद कहि सके कहाँ ते॥१५॥
तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा
राम मिलाय राज पद दीन्हा॥१६॥
तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना
लंकेश्वर भये सब जग जाना॥१७॥
जुग सहस्त्र जोजन पर भानू
लिल्यो ताहि मधुर फ़ल जानू॥१८॥
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही
जलधि लाँघि गए अचरज नाही॥१९॥
दुर्गम काज जगत के जेते
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥२०॥
राम दुआरे तुम रखवारे
होत ना आज्ञा बिनु पैसारे॥२१॥
सब सुख लहैं तुम्हारी सरना
तुम रक्षक काहु को डरना॥२२॥
आपन तेज सम्हारो आपै
तीनों लोक हाँक तै कापै॥२३॥
भूत पिशाच निकट नहि आवै
महावीर जब नाम सुनावै॥२४॥
नासै रोग हरे सब पीरा
जपत निरंतर हनुमत बीरा॥२५॥
संकट तै हनुमान छुडावै
मन क्रम वचन ध्यान जो लावै॥२६॥
सब पर राम तपस्वी राजा
तिनके काज सकल तुम साजा॥२७॥
और मनोरथ जो कोई लावै
सोई अमित जीवन फल पावै॥२८॥
चारों जुग परताप तुम्हारा
है परसिद्ध जगत उजियारा॥२९॥
साधु संत के तुम रखवारे
असुर निकंदन राम दुलारे॥३०॥
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता
अस बर दीन जानकी माता॥३१॥
राम रसायन तुम्हरे पासा
सदा रहो रघुपति के दासा॥३२॥
तुम्हरे भजन राम को पावै
जनम जनम के दुख बिसरावै॥३३॥
अंतकाल रघुवरपुर जाई
जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई॥३४॥
और देवता चित्त ना धरई
हनुमत सेई सर्व सुख करई॥३५॥
संकट कटै मिटै सब पीरा
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥३६॥
जै जै जै हनुमान गुसाईँ
कृपा करहु गुरु देव की नाई॥३७॥
जो सत बार पाठ कर कोई
छूटहि बंदि महा सुख होई॥३८॥
जो यह पढ़े हनुमान चालीसा
होय सिद्ध साखी गौरीसा॥३९॥
तुलसीदास सदा हरि चेरा
कीजै नाथ हृदय मह डेरा॥४०॥
दोहा
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥