Tuesday, September 27, 2016

Navratri | Navratri Pooja | Nav Durga | Navrati Durga Puja | Navratri Fasting- Festivals in India, Hindu Festivals



कलश स्थापना मुहूर्त
नवरात्र के प्रथम दिन 01 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 20 मिनट से लेकर 07 बजकर 30 तक का समय कलश स्थापना के लिए विशेष शुभ है।

पूजन सामग्री
1-जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र।
2-जौ बोने के लिए शुद्ध साफ की हुई मिटटी।
3-पात्र में बोने के लिए जौ।
4-कलश में भरने के लिए शुद्ध जल, गंगाजल
5-मोली।
6-इत्र।
7-साबुत सुपारी।
8-दूर्वा।
9-कलश में रखने के लिए कुछ सिक्के।
10-पंचरत्न।
11-अशोक या आम के 5 पत्ते।
12-कलश ढकने के लिए मिटट् का दीया।
13-ढक्कन में रखने के लिए बिना टूटे चावल।
14-पानी वाला नारियल।
15-नारियल पर लपेटने के लिए लाल कपडा।


Thursday, September 22, 2016

108 names of Lord Vishnu

1 विष्णु
Vishnu
2 लक्ष्मीपति
Lakshmipati
3 कृष्ण
Krishna
4 वैकुण्ठ
Vaikuntha
5 गरुडध्वजा
Garudadhwaja
6 परब्रह्म
Parabrahma
7 जगन्नाथ
Jagannatha
8 वासुदेव
Vasudeva
9 त्रिविक्रम
Trivikrama
10 दैत्यान्तका
Daityantaka
11 मधुरि
Madhuri
12 तार्क्ष्यवाहन
Tarkshyavahanaya
13 सनातन
Sanatana
14 नारायण
Narayana
15 पद्मनाभा
Padmanabha
16 हृषीकेश
Hrishikesha
17 सुधाप्रदाय
Sudhapradaya
18 माधव
Madhava
19 पुण्डरीकाक्ष
Pundarikaksha
20 स्थितिकर्ता
Sthitikarta
21 परात्परा
Paratpara
22 वनमाली
Vanamali
23 यज्ञरूपा
Yajnarupa
24 चक्रपाणये
Chakrapanaye
25 गदाधर
Gadadhara
26 उपेन्द्र
Upendra
27 केशव
Keshava
28 हंस
Hamsa
29 समुद्रमथन
Samudramathana
30 हरये
Haraye
31 गोविन्द
Govinda
32 ब्रह्मजनक
Brahmajanaka
33 कैटभासुरमर्दनाय
Kaitabhasuramardana
34 श्रीधर
Shridhara
35 कामजनकाय
Kamajanaka
36 शेषशायिनी
Sheshashayini
37 चतुर्भुज
Chaturbhuja
38 पाञ्चजन्यधरा
Panchajanyadhara
39 श्रीमत
Shrimata
40 शार्ङ्गपाणये
Sharngapana
41 जनार्दनाय
Janardana
42 पीताम्बरधराय
Pitambaradhara
43 देव
Deva
44 सूर्यचन्द्रविलोचन
Suryachandravilochana
45 मत्स्यरूप
Matsyarupa
46 कूर्मतनवे
Kurmatanave
47 क्रोडरूप
Krodarupa
48 नृकेसरि
Nrikesari
49 वामन
Vamana
50 भार्गव
Bhargava
51 राम
Rama
52 बली
Bali
53 कल्कि
Kalki
54 हयानना
Hayanana
55 विश्वम्भरा
Vishwambhara
56 शिशुमारा
Shishumara
57 श्रीकराय
Shrikara
58 कपिल
Kapila
59 ध्रुव
Dhruva
60 दत्तत्रेय
Dattatreya
61 अच्युता
Achyuta
62 अनन्त
Ananta
63 मुकुन्द
Mukunda
64 दधिवामना
Dadhivamana
65 धन्वन्तरी
Dhanvantari
66 श्रीनिवास
Shrinivasa
67 प्रद्युम्न
Pradyumna
68 पुरुषोत्तम
Purushottama
69 श्रीवत्सकौस्तुभधरा
Shrivatsakaustubhadhara
70 मुरारात
Murarata
71 अधोक्षजा
Adhokshaja
72 ऋषभाय
Rishabha
73 मोहिनीरूपधारी
Mohinirupadhari
74 सङ्कर्षण
Sankarshana
75 पृथ्वी
Prithvi
76 क्षीराब्धिशायिनी
Kshirabdhishayini
77 भूतात्म
Bhutatma
78 अनिरुद्ध
Aniruddha
79 भक्तवत्सल
Bhaktavatsala
80 नर
Nara
81 गजेन्द्रवरद
Gajendravarada
82 त्रिधाम्ने
Tridhamne
83 भूतभावन
Bhutabhavana
84 श्वेतद्वीपसुवास्तव्याय
Shwetadwipasuvastavyaya
85 सनकादिमुनिध्येयाय
Sankadimunidhyeyaya
86 भगवत
Bhagavata
87 शङ्करप्रिय
Shankarapriya
88 नीलकान्त
Nilakanta
89 धराकान्त
Dharakanta
90 वेदात्मन
Vedatmana
91 बादरायण
Badarayana
92 भागीरथीजन्मभूमि पादपद्मा
Bhagirathijanmabhumi Padapadma
93 सतां प्रभवे
Satam Prabhave
94 स्वभुवे
Swabhuve
95 विभव
Vibhava
96 घनश्याम
Ghanashyama
97 जगत्कारणाय
Jagatkaranaya
98 अव्यय
Avyaya
99 बुद्धावतार
Buddhavatara
100 शान्तात्म
Shantatma
101 लीलामानुषविग्रह
Lilamanushavigraha
102 दामोदर
Damodara
103 विराड्रूप
Viradrupa
104 भूतभव्यभवत्प्रभ
Bhutabhavyabhavatprabha
105 आदिदेव
Adideva
106 देवदेव
Devadeva
107 प्रह्लादपरिपालक
Prahladaparipalaka
108 श्रीमहाविष्णु
Shrimahavishnu

Sunday, September 4, 2016

Ganesha Chaturthi Shubh Muhurt

🙏🙏 *गणेश चतुर्थी 5 सितम्बर 2016* 🙏🙏
गणेश जी को घर लाने का शुभ मुहूर्त-
अधिकांशतः हम एक दिन पूर्व गणेश जी को लेकर आते हैं अतः मैं प्रथम आपको 4 सितम्बर 2016 का  मुहूर्त दे रहा हूँ। कृपया ध्यान रहे सपरिवार या सपत्नीक गणेश जी को आमन्त्रित करके लाएं। घर से गणेश जी की पूजा करके लायें और कहें 'गणेश जी ऋद्धि सिद्धि सहित हमारे घर पधारें।
*4 सित. मुहूर्त*
12:28 PM-03:49 PM
05:29 PM-08:29 PM

गणेश जी की मूर्ति का ज्यादा भाव मोल ना करें।
उन्हें शुद्ध कोरे लाल वस्त्र से ढक कर लायें।
कार में उन्हें सीट पर या अपनी गोद में रख कर लायें, डिग्गी में कदाचित ना रखें।
अगर आप *5 सितम्बर* को ही लाना चाहते हैं तो
*मुहूर्त- 07:27AM-10:48 AM*

*5 सितम्बर को गणेश स्थापना पूजा का समय*
*07:27 AM से 10:48 AM*
*12:28 PM से 02:08 PM*
*07:08 PM से 09:48 PM*

आप डेढ़, 3, 5, 7 या 11 दिन के लिये गणेश जी को आमन्त्रित करने का संकल्प ले सकते हैं और यह संकल्प मूर्ति लाते समय या स्थापना के समय मन में ले सकते हैं। मगर ध्यान रहे कि जितने दिन का संकल्प करके लाये हैं उससे पूर्व विसर्जन ना करें पर अधिक दिन रुकने के लिए गणेश जी सेअनुनय विनय करके दिन उपरोक्त संख्या में बढ़ा सकते हैं।

जितने दिन गणेश जी घर में विराजमान रहें घर को ताला लगाकर सपरिवार बाहर नहीं जायें, कोई ना कोई सदस्य घर पर ही रुके। अगर आप दोनों (पति पत्नी) ही कार्यरत हों तो गणेश जी बोलकर कि 'हम इतने बजे तक आ जायेंगें' जा सकते हैं।
ऐसे ही जो महिलाएं दिन में बच्चों को स्कूल बस से लेने जाती हैं वे भी गणेश जी को बोल कर जा सकती हैं। आपको यह भावना मन में रखनी है कि गणेश जी आपके घर में अतिथि बनकर विराजमान हैं।
गणेश जी को दोनों आरती के समय यथाशक्ति लड्डू, मोदक, फल व मेवे का प्रशाद अर्पित करें। घर में सात्विक भोजन ही बने व सर्वप्रथम थाली लगा कर गणेश जी को भोजन अर्पित करें तत्पश्चात परिवार भोजन करे। घर में कोई क्लेश और चिंता नहीं करें। गणेश जी विघ्न,क्लेश और चिंता को दूर करने वाले हैं यह दृढ विश्वास मन में रखें।

 *पुनःश्च*- गणेश जी लाते समय काला धागा पहना कर लायें।

*पूजन व अन्य सामग्री*
7 साबुत सुपारी
5 साबुत पान के पत्ते कलश हेतु
ताम्बे या पीतल का कलश/ लोटा
अक्षत (साबुत चावल)
नारियल 3
ताजे पुष्प
इत्र
केले के पत्ते
दूर्वा
हल्दी चन्दन टीके हेतु
कपूर, धूप व अगरबत्ती
गौ घृत का दीपक
शहद
गुड़
गंगा जल
5 अखरोट, 5 बादाम, 5 खारेक, 5 काजू, 5 किशमिश आदि पंचमेवा।
फल
प्रशाद लड्डू मोदक
लाल वस्त्र बिछाने हेतु।

*श्रृंगार सामग्री*
मुकुट
माला
भुजबन्ध
वस्त्र गणेश जी के।
जय गणेश

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏

Friday, September 2, 2016

Tulsi Saligram Katha

*तुलसी कौन थी?*


तुलसी(पौधा) पूर्व जन्म मे एक लड़की थी जिस का नाम वृंदा था, राक्षस कुल में उसका जन्म हुआ था बचपन से ही भगवान विष्णु की भक्त थी.बड़े ही प्रेम से भगवान की सेवा, पूजा किया करती थी.जब वह बड़ी हुई तो उनका विवाह राक्षस कुल में दानव राज जलंधर से हो गया। जलंधर समुद्र से उत्पन्न हुआ था.
वृंदा बड़ी ही पतिव्रता स्त्री थी सदा अपने पति की सेवा किया करती थी.
एक बार देवताओ और दानवों में युद्ध हुआ जब जलंधर युद्ध पर जाने लगे तो वृंदा ने कहा -
स्वामी आप युद्ध पर जा रहे है आप जब तक युद्ध में रहेगे में पूजा में बैठ कर आपकी जीत के लिये अनुष्ठान करुगी,और जब तक आप वापस नहीं आ जाते, मैं अपना संकल्प
नही छोडूगी। जलंधर तो युद्ध में चले गये,और वृंदा व्रत का संकल्प लेकर पूजा में बैठ गयी, उनके व्रत के प्रभाव से देवता भी जलंधर को ना जीत सके, सारे देवता जब हारने लगे तो विष्णु जी के पास गये।

सबने भगवान से प्रार्थना की तो भगवान कहने लगे कि – वृंदा मेरी परम भक्त है में उसके साथ छल नहीं कर सकता ।
फिर देवता बोले - भगवान दूसरा कोई उपाय भी तो नहीं है अब आप ही हमारी मदद कर सकते है।

भगवान ने जलंधर का ही रूप रखा और वृंदा के महल में पँहुच गये जैसे
ही वृंदा ने अपने पति को देखा, वे तुरंत पूजा मे से उठ गई और उनके चरणों को छू लिए,जैसे ही उनका संकल्प टूटा, युद्ध में देवताओ ने जलंधर को मार दिया और उसका सिर काट कर अलग कर दिया,उनका सिर वृंदा के महल में गिरा जब वृंदा ने देखा कि मेरे पति का सिर तो कटा पडा है तो फिर ये जो मेरे सामने खड़े है ये कौन है?

उन्होंने पूँछा - आप कौन हो जिसका स्पर्श मैने किया, तब भगवान अपने रूप में आ गये पर वे कुछ ना बोल सके,वृंदा सारी बात समझ गई, उन्होंने भगवान को श्राप दे दिया आप पत्थर के हो जाओ, और भगवान तुंरत पत्थर के हो गये।

सभी देवता हाहाकार करने लगे लक्ष्मी जी रोने लगी और प्रार्थना करने लगी, जब वृंदा जी ने भगवान को वापस वैसा ही कर दिया और अपने पति का सिर लेकर वे
सती हो गयी।

उनकी राख से एक पौधा निकला तब
भगवान विष्णु जी ने कहा –आज से
इनका नाम तुलसी है, और मेरा एक रूप इस पत्थर के रूप में रहेगा जिसे शालिग्राम के नाम से तुलसी जी के साथ ही पूजा जायेगा और में
बिना तुलसी जी के भोग
स्वीकार नहीं करुगा। तब से तुलसी जी कि पूजा सभी करने लगे। और तुलसी जी का विवाह शालिग्राम जी के साथ कार्तिक मास में
किया जाता है.देव-उठावनी एकादशी के दिन इसे तुलसी विवाह के रूप में मनाया जाता है !

🙏🙏इस कथा को तीन लोगों को अवश्य प्रेषित करे आप को पुण्य  अवश्य मिलेगा।🙏🙏